राहुल कौशल
मानव सभ्यता कितनी निष्ठुर और मतलबी है यह इस बात से पता लगता है कि एक व्यक्ति का जब सितारा बुलंदी पर होता है तब उसे चाहने वालों की लाइन लगी होती है। उसे पसंद करने वालों का जमावड़ा लगा होता है।
किसी की मौत अंधकार भरे कमरे हुई, तो कोई फुटपाथ पर सड गल गया तो कोई आज भी अटलांटा के पागल खाने में मौत से लड़ रहा है।जब इतना बड़ा बॉलीवुड इतनी बड़ी मानव सभ्यता इनके काम नहीं आई। तो आप सोचते हैं वह आपके काम आएगी, कभी नहीं आएगी। जब तक आपसे रस निकलता रहेगा तब तक आप को नहीं छोड़ेंगे, लेकिन जैसे ही आप से रस निकलना बंद हो जाएगा तो आपको सूखे गन्ने की खोई की तरह जलने के लिए आग में या सड़ने के लिए कुड़े में फेंक दिया जाएगा।
निशा नूर, परवीन बॉबी, विन्नी (अप्सरा की तरह आकर्षक), दिव्या भारती, भारत भूषण (केंसर से मौत), नलिनी जयवंत, गैविन पैकर्ड (संजय दत्त सलमान के बॉडीगार्ड को ट्रेन किया), ए के हंगल, भगवान दादा (27 कमरों का जुहू में मकान), राज किरण, सीताराम पांचाल, कुकू मोरे (कैबरे डांसर हेलन की रिलेटिव, हेलन को बनाने वाली), श्रीवल्लभ व्यास, अचला सचदेवा, जगदीश (बॉलीवुड फोटोग्राफर)।
6 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (13-09-2020) को "सफ़ेदपोशों के नाम बंद लिफ़ाफ़े में क्यों" (चर्चा अंक-3823) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सटीक पोस्ट
यथार्थ लेख
आपका बहुत बहुत आभार
बहुत बहुत आभार
बहुत बहुत आभार
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