मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

मां, सब जानती है।

प्रणेता : राहुल कौशल

प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हुए छुट्टी मिलना, ऐसे है जैसे मरते हुए को प्राणवायु मिलना। कोई भी पर्व हो, निजी संस्थानों में आने वाले मीडिया घरानों में अवकाश नही मिलता। हाँ प्रबन्ध समिति के लंगूरों को यहां छूट होती है।

दीपावली पर अवकाश नही मिला क्योकि चैनल तो ऑफलाइन होगा नही, खैर कोई बात नही नौकरी तो करनी है। बाद में घर चले जायेंगे, और हां बलिदान करने कब लिए शायद इंसेंटिव मिल जाय !
दीपावली के बाद अवकाश मिलता है, इंसेंटिव के बदले दो दिन फलतुमिल जाते है। आप घर आते है क्योंकि बेटा हो या बेटी घर पर आने पर स्नेह, दुलार, प्यार जैसी पवार डोज मिलती है जिसके सहारे आप आगामी कार्य दिवस में अपना योगदान दे पाते है।

घर आये माते जी के गले लगे, माता जी एक साल से कैंसर से पीड़ित है। हमें यह गलतफहमी है कि मां कुछ जानती नही, जबकि वो ही है जो सब जानती है। मुझे देखकर उनमें ना जाने कहा से ताकत आ गयी, बिस्तर छोड़कर घर के बाहर थोड़ा सा घूमी, बहुत बातें की (बातों के बतौले करने में हम मां बेटे को महारत हासिल है)।

एक मां कितना प्रेम करती है इस बात से जानिए की शौच के लिए जाने के बारे में अपने शरीर को ऐसे तैयार करती थी कि युद्ध पर जा रही हो। तीन दिन यूँही निकल गए, अचानक माता जी ने पूछा कब जाएगा, बेटे ने कहा कल शाम को। अचानक कुछ सोचने के बाद बोली कुछ यह सामान ले आ। बेटा बाजार जाकर बताया सामान ले आया।

माता जी चल पड़ी कढ़ाई लेकर लड्डू बनाने, बेटे ने कहा मां आप आराम करो लड्डू जब ठीक हो जाएं तब बना देना। मां ने कहा लड्डू बना रही हूं ले जा फिर पता नही बना पाऊँ या नहीं। अच्छा तू एक काम कर गैस का चूल्हा कमरे में रख दे आराम से मूढ़े पर बैठकर बनाऊंगी। बहुत स्वादिष्ट, स्नेह भरे, दुलार की ताकत लिए लड्डू खूब खाय। लेकिन फिर नही बन पाय।

क्योकि मां कुछ नही जानती, सब कुछ जानती है। प्यार पिता और माता दोनों को करों लेकिन...

मां को लाड़ लड़ाओ, 
बड़ी कोमल होती है
मां संग खेलों खूब
बहुत मासूम होती है
मां के चेहरे में दुनिया देखो
मां आईना होती है
हाथों में उसके बरकत होती है
मां ईश्वर ही होती है
सृजन होता है कोख से उसकी
मां के हाथों में जिंदगी होती है
मां संग बैठो, खेलों, बात करो
भाई मेरे मां एक बार मिलती है
मां छोड़ गई एक बार तो
रोते रहोगे रोज रोज
मां नही मिलती है
मां फिर बिल्कुल नही मिलती है।

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