तुम्हारे छिपे हुए इरादों का भान कराता है
तुम पीठ में हमारी घोप दो कितने ही खंजर
उफ भी नही करेंगे जरा सी,
क्योंकि तुमसे दोस्ती जो है हमारी
मंशा समझ जाता हूँ, चाल ढाल देखकर तेरी
आज या किसी पल, तू कत्ल की तैयारी में है मेरी !
लेकिन थोड़ा तो सोचों ! तुम भी तो जिंदा हो अभी तक
जान लो इसकी बता इसकी वजह,
क्योंकि तुमसे दोस्ती जो है हमारी
मुझे रोक लेती है कच्ची डोर रिश्तों की और
तुम्हारे षड्यंत्रों को देखकर अनदेखा कर देता हूं
तुम हो के मेरे इर्दगिर्द रोज एक नया षड्यंत्र रचते हो
दिए भी मैं हूँ के सब भूल कर गले लगाता हूँ तुम्हें,
क्योकि तुमसे दोस्ती जो है हमारी
कभी बिना शर्तो के यूँही मिलकर तो देखों
हम छाती से दिल निकाल कर हमारा सजाकर तुम्हें देंगे
भले ही मास का लोथड़ा समझ तुम फेंक देना उसे कुड़े में
फिर भी आवाज उसी से तुम्हे देंगे,
क्योंकि तुमसे दोस्ती जो है हमारी
----प्रेणता
राहुल कौशल
दिनांक 11/10/2020
15 टिप्पणियां:
शानदार
राहुल यह बेहतरीन है। लिखते रहिए।
बहुत-बहुत धन्यवाद त्रिपाठी जी!
बहुत-बहुत धन्यवाद!
वाह ...क्या कहने।
उम्दा बात।
😆🤗🤗🤗😝😝
मन में उमडती भावनाओं पर काबू रखें तथा उचित शब्दों का प्रयोग करें |
तभी असली वाह वाही मिलेगी जनाााब
ठाकुर सोनू राणा
आपका आशीर्वाद मिला आभारी हूँ
धन्यवाद
जी
Sayar
Rahul bhai keep continue 🤗achhe vakta ke sath sath ek kavi hriday.
नही बस यूँही
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