शनिवार, 23 मार्च 2013

ऊर्जा और द्रव्य प्रकाश


यह पुर्णतः काल्पनिक विचार है, लेकिन मेरे जेहन  में यह विचार से कई दिनों से एक उर्जा के तौर पर विस्तृत हो रहा है । इसलिए मुझको को लगा की अपने से जुड़े लोगो के साथ इस उर्जा को बाँटना चाहिए ।
प्रारंभ कहा से करूँ यह सोच रहा हूँ । कही न कही से तो आरंभ करना ही है तो क्यों ना परमेश्वर के द्वारा की गयी सृष्टि रचना से ही की जाये क्योकि भगवान की सुन्दर रचना से सुन्दर तो कुछ भी नहीं इस दुनिया में । पाठको पहले तो विचार जान लेते   है कि वह विचार क्या है, क्या जीवन सिर्फ धरती पर ही है ?
एक मत के अनुसार सृष्टि जो सिर्फ पृथ्वी नहीं है का विस्तार अनन्तः है यह मत आम आदमी का नहीं ही नहीं है बल्कि हिन्दू धर्म के वेदों, मुसलमानों की कुरान शरीफ और बाइबिल में भी कहा गया है की परमपिता परमेश्वर ने इस सृष्टि की रचना मात्र छः दिनों में की और सातवें दिन अकाल तख़्त पर जा बैठा ।
वेदों में प्रमाण : 
(अर्थवेद: काण्ड संख्या 4, अनुवाक संख्या 01, मन्त्र संख्या 01)  
ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद वि सीमतः सुरुचो वें आवः ।
स बुध्न्या उपमा विष्ठाः सतशच योनिम्स्तशच वि चः ।।
अर्थात ब्रह्म कहते है की परमेश्वर ने स्वयं अनामी लोक से प्रकट होकर सत्य  लोक में अपनी सुझबुझ से कपडे की तरह सृष्टि रचना की । इसमें सतलोक जो स्व प्रकाशित और अनन्तः है, इनमे से प्रत्येक  ब्रह्माण्ड में उद्जैसे ही मगर छोटे सात शंख ब्रह्माण्ड रचे जिसमे कुछ अमर है और कुछ जिनका विनाश निश्चित है ।
वही यह बात कुरान शरीफ और बाईबिल में भी कही गयी है ।
(बाईबिल में उत्पत्ति ग्रन्थ प्रष्ट संख्या 2 पर अ- 1:20 - 2:5 तक)
कुरान शरीफ में 
(सूरत फुर्कानी 25, आयत संख्या 52, 58, 59)
फला तुतिअल - काफिरन व् जहीदहुम बिही जिहादन कबीर ।
अर्थात ईश्वर ने ही सृष्टि रचना की है जो अनन्तः है ।
आज स्टीफन होकीन्स का भी यही मनना है की एक मानव  जैसे कई मानव ब्रह्ममांड में या तो जीवन का आरंभ कर रहे होंगे या कर चुके होंगे । मानव के शरीर पर अरबो की संख्या में जीव पनपते है जो आज विज्ञान ने पूर्ण रूप से प्रमाणित कर दिया है तो क्या आपको नहीं लगता की उन सभी जीवो के लिए हमारा शारीर ब्रह्ममांड है ।  जब यह जीव हमारे शारीर पर बने रोम  में 100000 गुना छोटी यात्रा करके ही थक जाते है तो हमने तो यात्रा का श्री गणेश भी नहीं किया । वेदों और धार्मिक पुस्तको के आधार पर ब्रह्म ने सर्वप्रथम 16 पुत्रो को अपनी सेवा और सृष्टि रचना के लिए रचा ताकि अनन्तः विस्तार वाले  ब्रह्ममांड को संतुलित करके जीवन प्रारंभ किया जा सके ।
इन सभी पुत्रो के नाम क्रमशः निम्न है : -
1). कूर्म
2). ज्ञानी
3). विवेक
4). तेज
5). सहज
6). संतोष
7). सुरति
8). आनंद
9). क्षमा
10). निष्काम
11). जलरंगी
12). अचिंत
13). प्रेम
14). दयाल
15). धैर्य
16).योग
और यह सभी अपने निज  धामों को चलायमान किये हुए यहाँ सिर्फ प्रभु भक्ति है और कोई सम्पूर्ण शांति है ।उसी प्रकार ईश्वर ने सभी लोको को रचा है । वेदों के अनुसार पूर्णब्रह्म वह है जो अनन्तः अविनाशी है जिसके असंख्य मुँह और हाथ है जो सृष्टि का रचियता है और जो इसको ख़त्म करने वाला है । परब्रह्म वह है जो अक्षर पुरुष या सात शंख ब्रह्ममांडो का मालिक है लेकिन जब पूर्णब्रह्म सृष्टि को नष्ट करेंगे तब इसका भी विलय पूर्णब्रह्म में अन्य जीवो की भांति हो जायेगा । ब्रह्म वह जो केवल इक्कीस ब्रह्ममांडो का स्वामी है और यह जब नष्ट होगा जब परब्रह्म अपनी रचना को नष्ट करेंगे अर्थात अर्धनारीश्वर जिसको हम माता पार्वती और शिव का रूप जानते है वो असल में इस सृष्टि की क्रमशः ऊर्जा और  द्रव्य प्रकाश है । वेदों में ऊर्जा के रूप में माता पार्वती को माना जाता है और द्रव्य प्रकाश का रूप महादेव को माना जाता है । यही दोनों इस सृष्टि के सर्जन करता है और विनाश करता है | अब यह बात सामने आती है की जब इतनी जगह जीवन है तो क्या अमिताभ बच्चन सिर्फ यही है या कई और जगह है यही हम भी कही जन्म ले रहे होंगे या कही 10 साल के होंगे या कही बुढ़ापा आ गया होगा |

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