शनिवार, 16 मार्च 2013

क्या दुनिया विकल्पहीन है ?


नित नयी खोज करते हुए हम कुछ पीछे छोड़ कर आगे बढ रहे है तो कुछ को साथ लेकर चल रहे है | निराशावादी लोग कहते है कि आप इस कार्य को भूल कर भी ना करें इसको करना सरल नहीं क्योकि इसका कोई विकल्प नहीं | लेकिन मुझे लगता है कि दुनिया में ऐसा कोई प्रश्न नहीं जिसका कोई विकल्प नहीं है | हमें करना बस यह है की हमारे सोचने की क्षमताओ को अपनी मानसिक दुर्भावनाओ से आजाद करके उनको पंख खोलने के लिए सम्पूर्ण सृष्टि में उडान भरने देना होगा |
क्या दुनिया विकल्पहीन है ? मैं कहूँ तो कतई नहीं क्या श्री राम ने समुन्द्र की विशालता को देख कर लंका पर आक्रमण करके अपनी सीता को मुक्त कराने का अपना इरादा बदल दिया था नहीं बल्कि गहन चिंतन करके राम सेतू जैसे पुल का निर्माण करवा दिया | उस समय के महान इंजिनियर नल और नील ने इसको वास्तविकता में बदल दिया था | आज राम सेतू इस बात का प्रमाण है की कोई भी कार्य किया जा सकता है बस उसके विकल्प को खोजना बाकी होता है | १८५७ ईसवीं में जब अंग्रेजो ने क्रांति की उठी चिंगारी को दबा दिया था तो क्या आजादी के लिए विकल्प खत्म हो गए थे ? नहीं बल्कि चार गुना शक्ति के साथ भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, नेता जी, चन्द्र शेखर आजाद और लाला लाजपत जैसे महान देश भक्तो ने हुंकार भरी और देश को आजाद कराया | क्या जिस मनुष्य के हाथ पैर कट जाते है वो जीना छोड़ देता है ? एक महिला के साथ उसके ससुराल वाले हर तरह का अत्याचार करते है और उसकी हालत अधमरी करके दुनिया में भटकने के लिए छोड़ देता है क्या वो जीना छोड़ देती है ? नहीं यह सब अपने लिए नए विकल्पों की तलाश करते हुए आपने जीवन को जीने की निरंतर कोशिश करते रहते है | आपका सवाल यह भी हो सकता है कि यह बाते सिर्फ किताबी है | तो दोस्तों एक बात बताओ क्या सरबजीत ने पाकिस्तान की जेल से छूटने की अपनी आशा छोड़ दी ? क्या भौतिकी के महान वैज्ञानिक स्टीफन होकीन्स ने अपनी अपंगता को मानकर कुछ नया करने से अपने आप को रोक लिया ? और सबसे बड़ी बात क्या हमने कश्मीर को अपना अंग मानने से मना कर दिया नहीं बल्कि हमें यकीन है की कोई ना कोई विकल्प निकलेगा और पाकिस्तान एक ना एक दिन यह कबूल कर लेगा की कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा |
दुनिया विकल्पहीन नहीं है क्योकि जब लोग कह रहे थे की जल्दी ही तेल ख़तम हो जायेगा फिर गाडी कैसे चलेंगी तो कुदरत ने हमें नए विकल्प तलाशने को मजबूर किया और हमें गैस और परमाणु शक्ति के रूप में एक जबरदस्त विकल्प मिला आज दुनिया में बड़े बड़े वाहन तेल की वजाय गैस और परमाणु उर्जा से चल रहे है | वायु को हमने उर्जा में बदलना सीख लिया है तो वही सौर उर्जा का प्रयोग भी हम करने लगे है | ओलिव ओयल बनाते समय उसका फल सूख जाता है जो इंधन के काम आता है, कई कम्पनियां दिन में अन्य उर्जा का प्रयोग करती है और सारा दिन इस फल को तेल निकलने के बाद एकत्र किया जाता है और वही फल रात में इंधन के रूप में कार्य में लाया जाता है |
अभी हाल ही में जर्मनी और स्वीटजरलैंड की सीमा पर एक महान प्रयोग किया गया है जिसमे ईश्वरीय कण खोजने की बात कही गयी है (अभी कुछ परिक्षण बाकी है, इसकी प्रमाणिकता के लिए) | यदि यह कण वही ईश्वरीय कण निकला जिसके बारे में पूरी दुनिया कयास लगाये हुए है तो हम ब्रह्माण्ड में कही भी एक पल में जा सकेंगे, इंटरनेट आज के मुकाबले कई सौ गुना तेज़ रफ़्तार से चलेगा, एक सारे शहर को छोटा सा बिजलीघर १०० वर्षो तक रोशन रखेगा | बात यही पर खत्म नहीं होती मेरे साथियों यह तो आरम्भ है नए सृजन का |
तुम फडफडाते ही रहोगे- बाज के चंगुल में
तुम्हें बचाने कोई परीक्षित न आयेगा...

परीक्षित आता है इतिहास के निमंत्रण पर 
किसी की बेबसी से पसीजकर नहीं...

मानव ने अभी तो सिर्फ शुरुआत की है हम मानव सभ्यता को आगे बढ़ाने वाली सीढ़ी के पहले पायदान पर है | ना जाने हमें अभी कितने ही विकल्प तलाशने है ताकि आने वाली पीढ़ी सुख़ - समृद्धि और शांति से रह सके | मानव कल्याण के लिए हमें प्रत्येक विकल्प की खोज करनी होगी बस अपनी आँखों से घमंड के मांस का वजन हटाना होगा |
अर्थात विकल्प तो दुनिया में बहुत है बस नजरिया बदलना होगा और आशावादी होकर प्रयत्न करने होंगे |राजनीति के लिए भी हम कहते है कि कोई विकल्प नहीं जैसा चल रहा है चलने दो | इस मामले मैं प्रथमदृष्टया कोई विकल्प नही दिखता । हम अक्सर सत्ता परिवर्तन को विकल्प मानने की भूल करते हैं जो जे.प आन्दोलन में भी हुआ । आज व्यवस्था परिवर्तन की जरुरत है, लोग प्रयास रत है । यह कम वैसे भी एक दिन में संभव नही है । किसी भी बदलाव के पीछे लम्बी पृष्ठभूमि तैयार करनी पड़ती है । चाणक्य को भी ४० साल लगे थे, लोलुपता से परिपूर्ण विलासिता का जीवन जीने वाले मानसिक नपुंसक राजा महानंद को सत्ता से हटाने में | लेकिन उस महान देश भक्त ने हार नहीं मानी और निरंतर नए विकल्पों की खोज से देश को एक शूरवीर राजा दिया | ठीक ऐसे ही कुछ अच्छे लोग सक्रीय राजनीति में आयें और बांकी अपनी - अपनी जगहों से भागीदारी निभाए सारी समस्या धीरे-धीरे ख़त्म हो जाएगी |
जरा गौर से देखें तो यह सब भी एक दिन में बैठे-बिठाये नही हुआ है । भ्रष्टाचार व अपराधीकरण का दीमक वर्षो में जाकर इस लोकतंत्र को खोखला करने में सफल हो पाया है । उसी प्रकार समय के हिसाब से सब ठीक होगा | आज देश एक नए लोकतान्त्रिक जागरण की मांग कर रहा है । हम में से कुछ लोगो को इस आन्दोलन की नीव बनना पड़ेगा जिसके लिए हमें अपने सोये साथियों को जगाने का जिम्मा उठाना होगा । मैंने तो इस विकल्प की शुरुआत कर दी है आप भी आगे आयें ।

हम होंगे कामयाब ,हम होंगे कामयाब ।
एक दिन हो - हो मन में हैं विश्वास,
हम होंगे कामयाब ,हम होंगे कामयाब...

1 टिप्पणी:

Devrishi Bhardwaj ने कहा…

जवानी का बड़े से बड़ा लक्षण यह है कि वह नयी-नयी दिशाओं में काम करें और उनके बारे में सोच विचार करें ।

हमारे युवाओं को नई दिशाऔं में काम करने चाहिए और नए नए विकल्प खोजने चाहिए बहुत तरह के नए विकल्प खोजे जा सकते हैं जो न केवल आने वाले भविष्य के लिए अच्छे होंगे बल्कि इस समाज और विज्ञान को बहुत ऊंचाइयों पर उठा देंगे लेकिन हिंदुस्तान के लोगों को देखकर ऐसा लगता है के पुराने किस्म के कामों को ही मांगते चले जाते हैं और पुराने रीति रिवाजों को अपनाते चले जाते हैं जिन की अब कोई जरूरत नहीं रह गई है ।
युवाओं की सोच को बदलना होगा । उन्हें रूढ़िवाद से छुटकारा दिलाना होगा ।