रविवार, 16 सितंबर 2012

राजनीती का बलात्कार

राजनीती का बलात्कार 
नेता सारे कर रहे 
जनता बेचारी को 
चुस्की जैसे चूस रहे

उद्योगपति देश के 
नेताओ की धो रहे
नेता भी बदले में 
खूब मलाई इनको दे रहे 

आज देश बचा कहाँ 
टुकडो में इसको तोड़ रहे
पहले एक मुल्क था
अब भाषाओ में बाँट रहे

रुक जाओ अब यहीं
दलदल में वर्ना फस रहे
अब एक हो जाओ दोस्त
वर्ना ना हिन्दू हम रहे ना मुस्लिम हम रहे ..

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