राजनीती का बलात्कार
नेता सारे कर रहे
जनता बेचारी को
चुस्की जैसे चूस रहे
उद्योगपति देश के
नेताओ की धो रहे
नेता भी बदले में
खूब मलाई इनको दे रहे
आज देश बचा कहाँ
टुकडो में इसको तोड़ रहे
पहले एक मुल्क था
अब भाषाओ में बाँट रहे
रुक जाओ अब यहीं
दलदल में वर्ना फस रहे
अब एक हो जाओ दोस्त
वर्ना ना हिन्दू हम रहे ना मुस्लिम हम रहे ..
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