गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

माँ तो अनजान है क्योकि


एक माँ अपने बच्चे को देवीय स्नेह, प्यार से नवाजती है। जबकि उस समय आराम की तथा अपनी अभिलाषाओं  की चिंता होनी चाहिए तब भी वह देवीय प्यार कम नहीं होता।
द्रव्य की मात्रा कम होने पर भी वह हमेशा उच्च मानकों की सामग्री अपनी संतान को प्रदान करती है। भले ही वह खुद उनसे वंचित रहे। वह हमेशा अपनी संतान के लिए अच्छे से अच्छा करना चाहती है। इसलिय हे परमपिता मैं अपनी माँ जो मेरे लिए आपकी दूत के सामान है के लिए कुछ भी करना चाहता हूँ।
एक महिला के लिए इस दुनियां में बहुत सी बातें हैं होने के लिए लेकिन माँ तो अनजान है क्योकि उसको तो अपने बच्चे की देखभाल की चिंता जो सताती रहती है। इसलिय मेरी आत्मा आराम करने से पहले माँ के लिए कुछ करना चाहती है, ताकि मेरी आत्मा मेरी माँ के लिए निरंतर सेवा करने और माँ से याचना करने के लिए खड़ी रहे।
माँ तुझसे सुन्दर न तो कोई वस्तु है ना जीव है और ना ही कोई द्रव्य देखा, मैंने ! ईश्वर दुनियां में सब जगह नहीं आ जा सकता तो उसने अपना ही एक रूप हमें प्रदान किया और वो है साक्षात् देवी स्वरुप माँ । दुनिया को कल्पवृक्ष की भातिं छाया, क्षीर सागर से गहरी ममता और ब्रह्मांड से विशाल ह्रदय वाली माँ को भेजा ।
नैतिक, बोद्धिक और शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम माँ द्वारा ही हमे प्रदान हुआ, यदि माँ की कही बातें हम मान ले तो कुछ भी ऐसा नहीं जो हम कर ना सकें। माँ कभी नहीं कहती के तू सिगरेट पी या दारू का का सेवन कर ना ही मैंने कभी सुना की माँ कहती है की तू हत्या या चोरी कर । माँ तो जीवन भर दर्द अपने दिल में पालती है पर कभी भी उसे किसी के सामने व्यक्त नहीं करती और हम माँ के लिए क्या करते है ? बस वो दो मिनट अपने लिए साथ बैठने को मांगती है ताकि दो पल अपनी कह सुन सकें। वो जीवन भर टट्टी से सनी पट्टियाँ साफ करती है और हम उसके दर्द को भी नहीं बाँट सकते ।
एक माँ का भरोसा ही है जो दोस्त की तरह हमारी देखभाल करता है और हम तब भी दुनिया में दोस्त खोजते फिरते है। जब कोई आपत्ति हम पर अचानक गिर आती है तो वो माँ ही है जो अपने पल्लू को हमारे सर पर घुमाकर उसको कम कर देती है और सारी दिक्कत खुद ले लेती है और हमें बस आनंद ही आनंद दे जाती है।

हर पल जीवन भर हर हाल में तेरा स्नेह मिला
ना शंका थी ना कोई दिक्कत कुदरत का अनमोल उपहार मिला

हे ईश्वर तू महान है माँ के रूप में तुने जो रत्न अनमोल दिया
माँ ना जाने क्यों तेरा साथ यूँ छूट गया

मिलता अगर कुछ और समय दुनिया होती कदमो तले
माँ ओ माँ..................

10 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

i have read your every article but this is superb. keep it up -- rohit - sadhna library

बेनामी ने कहा…

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गीतिका वेदिका ने कहा…

अच्छा लिखा है , सच्चा लिखा है, लिखते रहिये |

शुभकामनायें

arvind ने कहा…

bahut achha likha hai aapne. maa ke prati sneh anupam our anukarneey hai.subhkamnaaye.

निर्मला कपिला ने कहा…

माँ के लिये संवेदनायें अभिभूत कर गयी मग्र इन पँक्तियों का दर्द आँखें भी नम कर गया
हे ईश्वर तू महान है माँ के रूप में तुने जो रत्न अनमोल दिया
माँ ना जाने क्यों तेरा साथ यूँ छूट गया

मिलता अगर कुछ और समय दुनिया होती कदमो तले
माँ ओ माँ..................
मार्मिक शुभकामनाये, आशीर्वाद्

Unknown ने कहा…

sach mein bhai ..ma ,,,ma ke liye jitna kaho utna kam hain ..ma ek aisa vardan hain ishwar ka jisme hum bacho ki duniya samayi hoyi hain ,ek ma hi aapne bacho ke liye sochte hain aur unke dard ko samjhati hain ...really she is a great gift of god . . .

devas dixit ने कहा…

कौशल जी आपके बारे में अब क्या कहें,
माँ विषय पर जो भी आपने लिखा है, उसके बारे में मै कुछ भी कहने को असमर्थ हूँ.
माफ़ी चाहूँगा.
आपके बहुमूल्य सुझावों का हमारे ब्लॉग को बेसब्री से इंतज़ार है.

Vijendra ने कहा…

U have written really well but not to criticize u the flow of this well knit work somehow breaks in the last but one para. Though the last para, is so brilliantly carved that it laid warmth of mother’s hand on an inveterate pain we suffers daily. Kudos

Unknown ने कहा…

bahut achcha likha hai.keep it up. my good wishes always with you.

बेनामी ने कहा…

This Is a Comment less Artical.. I M Very Impreesed From This... I Have Never Seen That Type Of Artical.. Good Work Man.....

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Shikhar Choudahary