शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2019

बक्श दो मुझ, यदि किसानों का विकास चाहते हो...


राहुल कौशल 
16/10/2015 में एक स्टोरी सपा शासन में लिख चूका हूँ और आज फिर मेरी पीड़ा मुझे यह करने के लीयते मजबूर कर रही है।
आज का अपडेट लेख
 Photo 01 तहसील परिसर और कार्यलय, 02 नया बस स्टैंड, 03 कशी राम आवास जो कई सालों से खाली पड़े जर्जर हालत में हो गए है और 04, ट्रांजिस्ट होस्टल और उसके बगल में बरन पार्क जो कागजों में ही बना... 
जनपद की जनता के लिए एक अच्छी खबर है। राजकीय मेडिकल कॉलेज का रास्ता साफ हो गया है। गांव चांदपुर में कृषि विद्यालय की जमीन चिकित्सा शिक्षा विभाग को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 336 बेड के बनने वाले इस मेडिकल कॉलेज में लोगों को आधुनिक चिकित्सा का लाभ मिलेगा।
इस खबर से मैं बुलंदशहर का एक नागरिक होने के नाते समर्थन करता हूँ और बेेहद खुश हूँ लेकिन एक बहुत बड़ी समस्या है सन 1920 के आसपास सदर के कुछ गाँव (चांदपुर, दोस्तपुर आदि) के किसानों से उनकी भूमि अंग्रेज अधिकारियों ने इस बाबत ली थी यह एक ऐसा प्रक्षेत्र केंद्र होगा जहाँ से किसानों को उचित मूल्य पर शुद्ध और स्वस्छ बीच उपलब्ध कराया जायेगा। यह प्रक्षेत्र लगभग 700 बीघे का हुआ करता था, लेकिन आज एक विधवा की तरह बेरंग हो गया है। आपको कही काशीराम आवास मिलेंगे जो बच्चों के खेलने की जगह पर बना दिए गए।
गायों का जहाँ चारा उगाया जाता वहां भी इन कंक्रीट के जंगलों को खड़ा कर दिए गया। दूरी ओर तहसील सैकड़ों बीघा जमीन को निगल गई,  कही ट्रांजिस्ट होस्टल, तो कही बस स्टैंड और सरदार पटेल कृषि विज्ञान केंद्र के नाम पर जमीन आज 400 बीघा ही रह गई है। कृषि विभाग की जमीन का सत्यानाश उस समय के कृषि अधिकारियों, जिलाधिकारियों और शासन द्धारा कर दिया गया है। जबकि यह केंद्र किसानों को उन्नत बीज दिलवाने के लिए, किसानों से ही जमीन लेकर शुरू किया गया था। आज इस विभागीय परिसर को नोच-नोच कर बदरंग कर दिया गया है, कह सकते है कि यह एक प्रकार का दुराचार ही तो है, जिसके जिम्मेदार आप हम सब है।

आप सभी से अनुरोध है इसे अब और बदरंग ना बनाये

यह मेरा किसी व्यक्ति, नेता, मंत्री या बड़े आदरणीय का विरोध नहीं है, बल्कि एक अनुरोध है बुलंदशहर का एक जिम्मेदार नागरिक के नाते, एक कार्यकर्ता होने के नाते और इस कॉलोनी में अपने जीवन का प्रारंभ करने वाले युवा के नाते।
कई लोग सवाल करेंगे की मेडिकल कॉलेज कहा बनाये ? तो यदि हम भविष्य की सोचे तो समाधान एक दम मुफीद है कृषि विधालय के सामने ही सिंचाई विभाग की एक उजाड़ कॉलोनी बनी हुई है वहां न कोई खेती करता है ना कोई इस आवसीय खंड में रहता है ना ही कोई कार्य हो रहा है इस जमीन पर कभी कब्रिस्तान, कभी अवैध निर्माण कर कब्ज़ा किया जा रहा है। हमारी सरकार की नियत चूँकि भ्रष्टता के खिलाफ है तो यह जमीन सही रहेगी इसका प्रयोग हो पायेगा जो नहीं हो रहा है।
दूसरा आप्शन है चाँदमारी जो नैथला से 1.5 किलोमीटर आगे नवादा ग्राम के सामने बनी चांदमारी फायरिंग रेंज करीब 60-70 बीघा  जमीं जो उसर  पड़ी है और जहाँ कलेक्ट्रेट का कार्यलय, मेडिकल कॉलेज के साथ देहात पुलिस का विकसित और मल्टीप्लेक्स कंट्रोल रूम बनाया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो हम बिना किसी उपजाऊ जगह को नुक्सान पहुंचे चोला और झाझर जैसे गाँव देहात को शहरीकरण से जोड़ पाएंगे बल्कि जिले का विकास गाँव देहात तक पहुंचा पाएंगे। लेकिन यदि आप कृषि भूमि की कब्र खोद कर उसपर निर्माण करेंगे तो यह सिर्फ सदर में ही सिमट कर रह जायेगा। इससे फायदा सिर्फ इतना होगा की शहर में भीड़ बढ़ेगी और प्लोटिंग की जमीन का मूल्य आसमान छुएगा जबकि यह मेडिकल कॉलेज चांदमारी पर खुला तो सरकार की खाली पड़ी जमीन का सदुपयोग होगा साथ ही गाँव देहात इस मेडिकल कॉलेज की वजह से रोजगार पा सकेंगे बल्कि उनकी भूमि का मूल्य भी बढेगा। सबसे बड़ा फायदा यह होगा की कृषि विभाग निरंतर किसानों को निर्वाध रूप से बीज उपलब्ध करा सकेगा।

लोगों ने मेरी हरियाली को भी नोच लिया

बुलंदशहर। राजकीय कृषि विधालय जो कभी अपनी सुन्दरता और हरियाली के लिए जाना जाता था आज उसकी इस नियामत को उसके अपने अधिकारी ही तबाह करने पर तुले हुए है। आपको बताते चले की राजकीय कृषि विधालय के प्रधानाचार्य के आवास के ठीक बिलकुल सामने एक पार्क हुआ करता था जोकि अब गाड़ियाँ खड़ी करने की जगह में तब्दील कर दिया गया है। सन 1988 में उस समय के प्रधानाचार्य खां साहब ने पूरे राजकीय कृषि विधालय परिसर में दर्जनों पाम के पेड़ लगवाये थे, जो उस समय भी बहुत महंगे आये थे। लगभग 25 साल पुराने पेड़ो की वर्तमान समय में लाखो की कीमत है क्योकि 10 फिट के पाम की कीमत बाजार में लगभग 1000 डॉलर है। इन खुबसूरत पेड़ों को वर्तमान प्राचार्य के आदेश के बाद काट कर कूड़े के ढेर में फैक दिया गया है। आज से तीन साल पहले भी आये एक प्रधानाचार्य ने प्रधानाचार्य आवास के चारो ओर लगी सुन्दर हैज को उखडवा कर दीवार खड़ी कर दी थी। पेड़ो को काट कर प्रकृति के साथ गुनाह करने वालो को क्या कोई सजा नहीं मिलती। काफी साल पहले लगे मात्र दो चन्दन के पेड़ों को भी बिना किसी को पता चले काट गप्प कर लिया गया।
रुदन कर रही है प्रकृति और सिसकते हुए कह रही है की मुझको समय से पहले मरने से बचा लीजिये कही ऐसा ना हो की मेरी मौत कई मौतों का कारण बन जाये!

दुराचार हो रहा है कृषि विभाग के साथ

700 बीघे का प्रक्षेत्र आज एक विधवा की तरह बेरंग हो गया है। आपको कही काशीराम आवास मिलेंगे जो बच्चों के खेलने की जगह और गायों के चारा उगाने की जगह खड़े कर दिए गए। दूरी ओर तहसील, ट्रांजिस्ट होस्टल, बस स्टैंड और सरदार पटेल कृषि विज्ञान केंद्र के नाम पर बीघों जमीन का सत्यानाश तत्कालीन कृषि अधिकारियों, जिलाधिकारियों और शासन द्धारा कर दिया गया है। जबकि यह केंद्र किसानों को उन्नत बीज दिलवाने के लिए किसानों से जमीन लेकर शुरू किया गया था। आज इस विभागीय परिसर को नोच-नोच कर बदरंग कर दिया है, कह सकते है कि यह दुराचार ही तो है, जिसके जिम्मेदार आप हम सब है।


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