शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

मेरे लिए माँ क्या है ?

मेरी माँ चाँद से भी सुन्दर...
मेरी माँ ब्रहमांड से भी बढ़ कर ...

सागर से गहरा प्यार उसका...
ईश्वर रूप धरती पर उसका...

कदमो की धुल तेरी माथे तिलक...
हर पग पर तूहीं मेरी मार्गदर्शक है, माँ...

कहने को तू चली गयी है, माँ...
पर जनता हूँ साथ मेरे तूहीं है, माँ...

सच मैं अकेला हो गया हूँ आज...
तेरे बिन अब कुछ सोच पता नहीं हूँ, माँ...

मैंने पीड़ा तुझे हर कार्य से दी...
सुख भी तो तुझे कभी दे पाता, माँ...

तुझे भूल जाने को कहती है दुनिया...
पर तेरे हाथ की थपकी को कैसे भूल जाऊं, माँ...

डंडा चल पिता जी का जब-जब...
तू ही बचाने को आगे आई थी, माँ...

ये दुनिया तो खुदगर्ज़ है बड़ी...
दूध जैसे अमृत को कैसे भूल जाऊं, माँ...

दूबाल:-ए- चश्म लोगो ने दिए मुझे... 
नशेब जैसे बचाया तो तुने ही था, माँ...

नाज़ है मुझे अपने आप पर...
जो बेटा बना इस जन्म में तेरा, माँ...

इस जन्म में शफक्कत तेरा मुझे मिला...
अगले जन्म के लिए आरजुमंद  हूँ, माँ...

 *Website: sachkatadka.com*

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

इस जन्म में शफक्कत तेरा मुझे मिला...
अगले जन्म के लिए आरजुमंद हूँ, माँ...

Senti kar rahe ho Rahul Bhai...