रविवार, 17 फ़रवरी 2013

आरंभ कर आरंभ कर



देश ने पुकारा है
घर‌-परिवार छोड़कर
आज के असुर पर
प्रहार कर प्रहार कर...

जंग कि घड़ी है आज
अपने को तैयार कर
काल रूप लेके आज
प्रहार कर प्रहार कर...

प्रचंडता से आरंभ कर
एक ही प्रहार कर
नरमुंड काट कर
प्रहार कर प्रहार कर...

सिंह सी दहाड कर
दुश्मन को रौंध कर
विजय पताका के लिए
प्रहार कर प्रहार कर...

भूख प्यास भूलकर
रक्त को गले उतार
बोटीयो में काट कर
प्रहार कर प्रहार कर...

अंत में जीत कर
युद्ध विजेता बनकर
ले पताका केसरी
शंखनाद कर शंखनाद कर...

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Bahut badiya dhany hain him wise dost pa kar