शुक्रवार, 11 मार्च 2011

माँ, पीड़ा अन्दर ही समाये रहती है...

आज का दिन एक माँ के लिए बड़ी ही ख़ुशी का दिन है उसका बेटा जो इस दीपावली को पहली बार साथ नहीं था वो उससे मिलने दो महीने बाद आ रहा है... (कहने को यह दो महीने कम समय है) पर जो माँ रुधिर की असाध्य बीमारी से घिरी हुई है उसके लिए तो हर पल जैसे कई वर्षो की तरह है....

पांच सालो के बाद ईश्वर ने कौशल्या की गोदी में बेटा दिया... उसने अपने बेटे (हेमू) को अपनी इच्छाओ को मार कर पाला... खुद पर नए कपडे ना हो चलेगा पर हेमू तो चंगा भला ही उसकी माँ को पसंद है...
फिल्म, सिनेमा मेकप क्या है ? कौशल्या नहीं जानती उसकी फिल्म, सिनेमा तो उसके बेटे के लालन पालन में है उसका सोंदर्य तो उसका बेटा और उसका परिवार है... कौशल्या ने अपने बेटे के इंतजार में दो महीने कैसे निकाले है यह कोई नहीं जनता बस वो माँ है जो अपनी पीड़ा अन्दर ही समाये रहती है...
कुछ बाते याद करके उसका मन अचानक गमगीन हो जाता है, यह वही बात है जो उसकी अंतरात्मा को अन्दर तक घाव दे गए थे जो आज भी हरे हो जाते है....उसको याद है की एक बार उसकी देवरानी ने कहा था की कोई सुन्दर हो तो जरुरी नहीं की वो गुण सम्पन्न भी हो... यह बात उसके एक लौते बेटे हेमू के लिए कही गयी थी, वो भी जब वो मात्र तीन साल का था... वह सोचती है कि  मैं तो किसी के बच्चे में कोई कमी नहीं देखती फिर सब लोग मुझे और मेरे बेटे को क्यों कोसते है ?
कौशल्या का एक भाई कलकत्ता जैसे शहर में नौकरी करता है उसके भी कटाक्ष उसको रोने पर मजबूर कर देते है, उसने कहा था बहना तेरा बेटा तो थोडा सा दिमाग से हल्का लगता है,
कौशल्या : क्या छोटी सी उम्र में किसी बच्चे की योग्यता का निर्धारण किया जा सकता है जबकि वो अभी पढने के लिए स्कूल जाने लायक भी नहीं हुआ ?
कौशल्या की आँखे पिछली बातो को याद करके बाकि की कहानी व्यक्त कर देती है उसके चहरे से आंसुओ की धार ऐसे बह रही है जैसे गंगा-यमुना... बस एक ख़ुशी उसके मन में है की उसका बेटा आ रहा है...


परन्तु रोना उसका नहीं रुक रहा....


आखिर कैसे भूल जाये घर-परिवार और समाज के उन तानो को जो उसकी आत्मा को छलनी कर गए थे...उसको याद है की उसकी बहन मनु की शादी के बाद जब पहली बार लड़की के छोटे भाई-बहन या भांजे-भांजी उसको उसकी ससुराल से लेने जाते है (दश्यारी बोला जाता है) तो वहा कौशल्या के भाई का लड़का जो खुद अभी १४ साल का है ८ साल के हेमू को एक ऊँगली से माचिस की तिल्ली जलाना सिखाता है, बस फिर क्या था एक माचिस अपनी जेब में रखकर छत की ओर चल देता है और वही करने लगता है तिल्ली को एक ऊँगली से जलने की कोशिश...
दाना-दन प्रयास करने लगा और अचानक एक तिल्ली जलकर छप्पर में गिर गयी, आग लगने और पिटाई के डर से उसने छप्पर के कुछ तुड़े निकाले और दीवार के एक तरफ फैक दिए उसे क्या पता था की जहा उसने उनको फेका है वहां भूसा और उपले रखे है वो वहां से एक दम निकल लेता है....
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था आग भड़क गयी बड़ी मुश्किल से आग बुझी और आग में कुछ कूड़ा करकट जल गया, कोई कहता की आग किसी की बीडी से लगी तो कोई कहता की किसी ने लगायी खैर वहा से मामला रफा दफा हो गया...
घर आते हुए वो आठ साल का हेमू सब बातो से अनजान ट्रोली में सो चुका था, रात हो चली लो वापस आ गए लेकिन हेमू का स्वागत बाकि लोगो की अपेक्षा थोडा दर्द भरा रहा उसकी माँ थप्पड़ से उसके गालो और पीठ को थोडा तेज़ी के साथ सहला रही थी, हेमू रोये जा रहा है और पिता भी जा रहा है वो करे भी क्या सोते हुए उसको तो ऐसा लगा रहा था जैसे कही बिजली चमक रही है... इतने वो कुछ सोचता उतने में उसका हुलिया टाईट हो गया (उसकी मौसी ने उसको बचाया वरना आज तो उसका का कल्याण हो गया था) उसकी माँ ने उसपर गुस्सा नहीं निकला दूसरो के तानो का गुस्सा हेमू पर निकल दिया ...
अब हेमू पिट कर सो गया पर एक माँ अपने बच्चे को पीट कर रह पाती है क्या ?
नहीं, कौशल्या का रोना शुरू और अपनी छाती पीटना शुरू कर देती है उसकी पीड़ा बढती जा रही है की तभी रश्ते से उसके बेटे का फ़ोन आता है की वो काम के चलते आज नहीं आ रहा... रुधिर की बीमारी और वो भी असाध्य... उसको लगने लगा की इस बार दिवाली पर भी मेरा बेटा नहीं आया, भला क्यों वो दूर चला गया....वो बेटे से मिलने की चाह लिए दुनिया की चुभती बातो को दिल में बसाये परमात्मा में विलीन हो जाती है...
     जिस कार्य के लिए बेटे भेजा था आज उस कार्य ने ही उसके बेटे को उसकी माँ से जुदा कर दिया...
हमेशा हमेशा के लिए....
अपनी माँ के देहांत के बारे में सुन कर हेमू का तो जैसे सब कुछ छीन गया सही कहा है किसी ने, " ईश्वर सब जगह नहीं आ सकता तो उसने माँ के रूप में धरती पर अपना वात्सल्य बाँटने के लिए रास्ता बना लिया.."


"मेरी प्रिय माँ स्वर्गीय श्रीमती   उत्तरा शर्मा को समर्पित यह लेख जीवन की कटु सत्यो को व्यक्त करता हूँ..."










1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

एक भावुक लेख...