शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

ठगी और लुटाई का खेल जारी है दोस्तों


गुरू नाम के ठग खडे कैसे लागु पॉव
जी में तो बस इतना है की लठठ खूब बजाऊँ...

उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहाँ युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा है | लेकिन उसके बारे में ना कोई नेता
सोच रहा है ना कोई समाजसेवी हर मार्ग पर ठगा जा रहा है ये युवा अभी हाल ही में संम्पन हुई बीएड परीक्षा का परीक्षा परिणाम  गया हैऔर शुरू हो गया हैलुटाई का अद्भुत खेल ! अब आपका ये सवाल उठाना लाजमी है की ऐसे कैसे ? तो मित्रो सबसे पहले छोटी लुटाई की बात करते है | 
सभी छात्र - छात्राओ को आदेश दिया गया की काउंसलिंग के दिन दो ड्राफ्ट एक रूपये 500 का और रूपये 5000 लेकर आये | इसमें से रूपये 500 के ड्राफ्ट का पैसा छात्र - छात्राओ की काउंसलिंग के दिन दी जाने वाली सुविधा का शुल्क है | अब उसके बाद क्या सुविधा मिलती है ये जाने सुबह 08.00 बजे केंद्र पर जाकर छात्र बैठते है और शाम 08.00 बजे तक अपनी बारी का इंतज़ार खूले आसमान के नीचे करते है |
ना पानी की सुविधा ना छाया की भोजन की तो भूल जाओ और पात्र में कहा जाता है की छात्र दो से तीन दिन के रुकने की व्यवस्था करके आये (वैसे शिक्षा हमरा मूल अधिकार है) अरे साहब कुछ इसी व्यवस्था करो की बच्चा अपने घर से ही यह प्रक्रिया सम्पूर्ण कर सके | क्या हम गाल ही बजाते रहेंगे तकनीक में चाइना से आगे है या अमेरिका के करीब | शर्म आनी चाहिए हमरी सरकार और कार्यप्रणाली को नेता या अधिकारी का बच्चा ही किसी का बच्चा है क्या ?

अजी कहा चले अभी तो असली वाली लुटाई का द्रश्य बाकि है : -
कभी आई पी डिग्री कॉलेज की मान्यता इसलिए ख़तम कर दी गयी थी क्योकि आई पी डिग्री कॉलेज ने बीएड में एक लाख पचास हजार रूपये उगाहे थे तब जब फीस मात्र 25000 हुआ करती थी | इसमें प्रवेश से लेकर पास करने तक का जिम्मा कॉलेज का था | बस एक बार डी ए वी डिग्री में परीक्षा केंद्र पद गया और नकलची पकडे गये और झूट सामने आ गया | फिर दूबारा से मान्यता मिली और बीएड बहल हुई | बिलकुल ऐसे ही अब वी० आई० आई० टी० कॉलेज और एम० एस० कॉलेज  ऐसे ही पैसा उगहा रहे है अभी पता चला है की दोनों कॉलेज ने 15000 से 25000 रूपये लेकर ही प्रवेश दिया है और यदि छात्र कॉलेज नहीं आता तो उसको 15000 रूपये और प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए 5000 रूपये देने होंगे | ऐसा पिछले वर्ष 
भी हुआ था और इनका ठेका बन गया हैइसकी शिकायत शिक्षा सुधर समिति और अखिल भारतीय विधार्थी परिषद् के द्वारा प्रशासन और शासन दोनों से की गयी लेकिन ढाक के तीन पात कुछ नहीं हुआ या तो ये कहे की अधिकारियो ने और नेताओ ने भी अपना मुंह गू में डाल दिया या यह कहे की ऐसा कुछ नहीं हुआ
जान कर भी हम अनजान है अगर सुधारने पर आना पड़ा तो ना जाने क्या क्या सुधारना पड़ेगा, यह घृणित कार्य सिर्फ बुलन्दशहर में ही नहीं अपितू सारे राज्य या कहे सारे भारत में हो रहा है थू है इन कार्यो पर...
मैं छात्र नेता होने और आम नागरिक होने के नाते सरकार से कुछ कार्यवाही करने की विनती करता हूवरना जैसे मेरा यकीन व्यवस्था से उठ गया है आने वाली युवा पीढ़ी का भी उठ जायेगा |
गरीब पढ़ कर भी गरीब रह जायेगा...     

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