बेधड़क "मन की बात"
दिल से निकली बातें है जो दिल ही समझे दिमाग उतना लगाया गया है जितना की दिल ने दिमाग को लगने के लिए आदेशित किया है... किसी को कोई ठेस पहुँचाने का मकसद नहीं है।
मंगलवार, 26 दिसंबर 2023
मां, सब जानती है।
शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023
निकाय चुनाव: भारत के लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर
लखनऊ: स्थानीय निकाय चुनाव भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये चुनाव हर पांच साल में होते हैं, और वे नागरिकों को अपने स्थानीय क्षेत्रों के शासन में भाग लेने के लिए सशक्त बनाकर जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद करते हैं। ऐसा ही एक चुनाव जिसने हाल के दिनों में काफी सुर्खियां बटोरी हैं, वह है उत्तर प्रदेश का निकाय चुनाव।
जनसंख्या के मामले में भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश अक्टूबर 2023 में नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पंचायतों सहित राज्य के शहरी स्थानीय निकायों के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करने जा रहा है। राज्य में कुल 653 शहरी स्थानीय निकाय हैं, और चुनाव में बड़े पैमाने पर मतदान होने की उम्मीद है।
निकाय चुनाव विभिन्न कारणों से अत्यधिक महत्व रखता है। सबसे पहले, यह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की लोकप्रियता और प्रदर्शन के लिए एक लिटमस टेस्ट है। राज्य में पार्टी चार साल से अधिक समय से सत्ता में है, और चुनाव परिणाम सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को जनता की स्वीकृति या अस्वीकृति के बारे में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करेंगे।
दूसरे, निकाय चुनाव विपक्षी दलों के लिए अपनी ताकत साबित करने और राज्य की राजनीति में अपनी छाप छोड़ने के लिए महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश हमेशा से ही भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण राज्य रहा है, और इन चुनावों को जीतने से विपक्षी दलों को 2024 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनावों के लिए ऊर्जा मिल सकती है।
तीसरा, निकाय चुनाव नागरिकों के लिए अपने लोकतांत्रिक
अधिकारों का प्रयोग करने और अपने स्थानीय क्षेत्रों के विकास के लिए काम करने वाले
प्रतिनिधियों को चुनने का एक अवसर भी है। चुनाव लोगों को ऐसे नेताओं को चुनने की
शक्ति देता है जो उनके दैनिक जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
निकाय चुनाव के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, पहले चरण के लिए नामांकन किये जा चुके ही प्रचार जोर शोर से शुरू किया जा चुका है। राज्य चुनाव आयोग ने चुनाव के कार्यक्रम और दिशानिर्देशों की घोषणा की है। आयोग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए मतदान केंद्रों की संख्या भी बढ़ा दी है कि लोग बिना किसी परेशानी के अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग कर सकें।
इस साल निकाय चुनाव में भी कई तकनीकी प्रगति देखी जा रही है। राज्य सरकार ने नागरिकों को चुनाव प्रक्रिया में अधिक आसानी से भाग लेने में मदद करने के लिए ई-नामांकन सुविधा, ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण और मोबाइल ऐप जैसी विभिन्न जन सुविधाएँ शुरू की हैं। इसके अतिरिक्त, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी चुनाव प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, राजनीतिक दल और उम्मीदवार विभिन्न डिजिटल चैनलों के माध्यम से मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं।
अंत में, निकाय चुनाव भारत के लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, और इसके परिणामों का राज्य की राजनीति और शासन पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। यह नागरिकों के लिए अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने और नेताओं का चुनाव करने का अवसर है जो अपने स्थानीय क्षेत्रों के विकास के लिए काम कर सकते हैं। यह राजनीतिक दलों के लिए अपनी ताकत साबित करने और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए शक्ति प्रदर्शन करने का एक अवसर भी है। अंतत: निकाय चुनाव भारत के लोकतंत्र की ताकत और लचीलेपन की परीक्षा है, और इसका सफल संचालन दूरगामी परिणाम लेकर आयेगा।
सोमवार, 12 अक्तूबर 2020
क्योंकि तुमसे दोस्ती जो है हमारी
रविवार, 20 सितंबर 2020
विशुद्ध सत्य कथा : 4 - जूनून की हद तक चाहत बनी एनसीसी
11 वीं कक्षा की नगर के किसी विधालय में इंटर लेवल पर एनसीसी नहीं थी और हमे डिग्री कॉलेज में जाके सी सर्टिफिकेट लेने की देरी बर्दाश्त नहीं थी। राहुल कौशल और अनिल त्यागी सबसे पहले 41 वीं बटालियन गए और उस समय के कमांडिंग अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल के के शर्मा जी से बात की। उन्होंने उनसे कहा की सर हमारे स्कूल को प्लाटून दिलाने का कष्ट करें, उन्होंने कहा की यदि कोई टीचर तैयार हो तो हम आवंटित कर सकते है लेकिन उसके पास सी सर्टिफिकेट होना चाहिए साथ ही आपके कॉलेज के प्रधानाचार्य का एनओसी।
बस दिमाग के फ्यूज उड़ गए की कैसे किया जाय समय भीकम है क्योकि 15 अगस्त से एनसीसी का सेशन शुरू हो जाता है। सबसे पहले स्कूल गए और टीचरों से से इस बाबत बात की लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। एनसीसी ज्वाइन करने का सपना अब सपना सा लगने लगा। कई दिन गुजने के बाद जूनियर वींग के एनओ श्री कृष्ण पाल सिंह जी ने कहा की एक व्यक्ति है जो सीनियर विंग का एनओ बन सकते है। उन्होंने बताया की श्री विनोद सिंह जी से बात करों और उनको मनाओ वही है जो सी सर्टिफिकेट होल्डर है और एनसीसी को चला भी सकते है।
हम तुरंत उनके पास गए क्योकि वो हमारे इंग्लिश के टीचर थे, हमनें उनसे सारी बात बता दी और उसके बाद उन्होंने हाँ कह दी लेकिन कभी-कभी कुछ काम अपनी अहमियत शुरू में ही दिखा देते है। कभी प्रधानाचार्य नहीं कभी सीओ नहीं बस इस तरह अगस्त की 5 तारीख आ गई तब जाकर हमारे प्यारे विधालय राजकीय इंटर कॉलेज बुलंदशहर के लिए 105 कैडेट्स की प्लाटून आबंटित हुई और हम सातवें आसमान पर खुशियाँ मनाने लगे। इस काम के लिए ना जाने साईकिल से कितने चक्कर एनसीसी ऑफिस के और स्कूल के लगे, ना जाने कितनी बार सीओ सर से कहा की आप ही कोई व्यवस्था करा दीजिये। ना जाने कितनी बार लगा की अब एनसीसी नहीं मिलेगी शायद सी सर्टिफिकेट करने का या आगे आर्मी में जाने का सपना पूरा नहीं होगा। खैर अब कोई दिक्कत नहीं थी आखिर एक पडाव पूरा हो गया था अब आगे की सोचनी है नयी लड़ाई लड़नी है।
उसके बाद शुरू होती है शुक्रवार और शनिवार को हमारी परेड जिसके लिये शर्ट, पेंट, बैल्ट, कैप और जूते बटालियन द्धारा भेजे गए। मेहनत का फायदा यह हुआ की मुझे अपने कॉलेज की एनसीसी टीम का सीनियर अंडर ऑफिसर बनाया गया। एनसीसी में कंधे पर लाल रंग की रैंक और उसपर काले रंग की दो पट्टियाँ पहनने का सपना हर किसी का होता है। मेरे साथ भानुप्रताप सिंह को अंडर ऑफिसर बनाया गया। अन्य मित्रों में अतीक अहमद, प्रभात वर्मा, अनवर खान, स्व० महेंद्र सिंह थे, एनसीसी एक ऐसी संस्था है जिसमें किसी से दोस्ती ना हो, हो नहीं सकता सभी के सभी मित्र बने और घनिष्ठ मित्र बनते चले गए।
उसके बाद एक कैम्प का आयोजन गाजियाबाद ग्रुप की ओर से किया गया जो बनवासा, टनकपुर एयरफ़ोर्स बेस पर लगाया गया। हमारी एक बस बुलंदशहर से चली और अलग अलग स्कूल के कैडेट्स को लेते हुए डिबाई पहुंची जहाँ से अपने कुछ और साथियो को लेते हुए बरेली, पीलीभीत होते हुए हम अपने कैम्प ग्राउंड तक पहुंचे लेकिन आपको बता दूँ रास्ते में कोई शादी होगी जिसमें हमारी बस के लडको ने चढत में डांस ना किया हो पुरे रास्ते, गाने, चुटकुले हुडदंग मचाते हुए हम बनबसा पहुंचे।
क्रमशः
कैसे फायरिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और सिल्वर जीता, कैसे रिपब्लिक डे कैम्प के लिए चुना गया आदि किसकी वजह से मंच पर बोलना सीखा और और रात को 2 बजे कैसे जागा पूरा कैम्प जिसमें 750 कैडेट्स और 300 अन्य अधिकारी, कर्मचारी और खाना बनाने वाले परेशान हुए, एक भूत की पहेली भी पढ़िए अगले अंको में.....
शनिवार, 12 सितंबर 2020
लालची, निष्ठुर मानव सभ्यता
राहुल कौशल
मानव सभ्यता कितनी निष्ठुर और मतलबी है यह इस बात से पता लगता है कि एक व्यक्ति का जब सितारा बुलंदी पर होता है तब उसे चाहने वालों की लाइन लगी होती है। उसे पसंद करने वालों का जमावड़ा लगा होता है।
किसी की मौत अंधकार भरे कमरे हुई, तो कोई फुटपाथ पर सड गल गया तो कोई आज भी अटलांटा के पागल खाने में मौत से लड़ रहा है।जब इतना बड़ा बॉलीवुड इतनी बड़ी मानव सभ्यता इनके काम नहीं आई। तो आप सोचते हैं वह आपके काम आएगी, कभी नहीं आएगी। जब तक आपसे रस निकलता रहेगा तब तक आप को नहीं छोड़ेंगे, लेकिन जैसे ही आप से रस निकलना बंद हो जाएगा तो आपको सूखे गन्ने की खोई की तरह जलने के लिए आग में या सड़ने के लिए कुड़े में फेंक दिया जाएगा।
निशा नूर, परवीन बॉबी, विन्नी (अप्सरा की तरह आकर्षक), दिव्या भारती, भारत भूषण (केंसर से मौत), नलिनी जयवंत, गैविन पैकर्ड (संजय दत्त सलमान के बॉडीगार्ड को ट्रेन किया), ए के हंगल, भगवान दादा (27 कमरों का जुहू में मकान), राज किरण, सीताराम पांचाल, कुकू मोरे (कैबरे डांसर हेलन की रिलेटिव, हेलन को बनाने वाली), श्रीवल्लभ व्यास, अचला सचदेवा, जगदीश (बॉलीवुड फोटोग्राफर)।
रविवार, 1 मार्च 2020
मां की परिभाषा "मां" होती है
तुझको नौकर जैसे रख पल पल तुझे सताया था
मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020
क्रांति के हवन कुंड में जनपद की आहुति
सोमवार, 10 फ़रवरी 2020
हुक्के की गुड़गुडाहट में हो जाते थे बड़े-बड़े फैसले
शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2019
बक्श दो मुझ, यदि किसानों का विकास चाहते हो...
16/10/2015 में एक स्टोरी सपा शासन में लिख चूका हूँ और आज फिर मेरी पीड़ा मुझे यह करने के लीयते मजबूर कर रही है।
Photo 01 तहसील परिसर और कार्यलय, 02 नया बस स्टैंड, 03 कशी राम आवास जो कई सालों से खाली पड़े जर्जर हालत में हो गए है और 04, ट्रांजिस्ट होस्टल और उसके बगल में बरन पार्क जो कागजों में ही बना... |
गायों का जहाँ चारा उगाया जाता वहां भी इन कंक्रीट के जंगलों को खड़ा कर दिए गया। दूरी ओर तहसील सैकड़ों बीघा जमीन को निगल गई, कही ट्रांजिस्ट होस्टल, तो कही बस स्टैंड और सरदार पटेल कृषि विज्ञान केंद्र के नाम पर जमीन आज 400 बीघा ही रह गई है। कृषि विभाग की जमीन का सत्यानाश उस समय के कृषि अधिकारियों, जिलाधिकारियों और शासन द्धारा कर दिया गया है। जबकि यह केंद्र किसानों को उन्नत बीज दिलवाने के लिए, किसानों से ही जमीन लेकर शुरू किया गया था। आज इस विभागीय परिसर को नोच-नोच कर बदरंग कर दिया गया है, कह सकते है कि यह एक प्रकार का दुराचार ही तो है, जिसके जिम्मेदार आप हम सब है।