गुरुवार, 29 जुलाई 2010

मेरी वेदना.....

सुबह छः बजे जैसे ही मेरी आँख खुली तो लगा जैसे जेब हल्की हो गयी है। नित्य क्रिया करने के बाद हाथ साफ करने के लिए जैसे ही साबुन हाथ में लिया लगा जैसे हाथ नहीं जेब साफ हो रही हो। अचानक हो रही यह घटना मुझे परेशान किये हुए थी। पर ये तो मेरा वहम था सच नहीं था (अब वहम का ईलाजतो हाकिम लुकमान के पास भी नहीं था)। 
मैंने जैसे ही नाश्ता करना चाहा लगा जो चाकू मैंने मक्खन लगाने की लिए उठाया है वो डबल रोटी की जगह मेरी जेब पर चल रहा है, ऐसा क्यों हो रहा है नहीं जनता पर अब डर सा लगने लगा था और यह स्वाभाविक था क्योकि यह सपना तो था नहीं और ना ही वहम जो मैं खुली आँखों से देख रहा था
आज 31 मार्च थी मैंने सोचा कही ऐसा तो नहीं मैंने आयकर जमा ना किया हो...पर अभी अपनी पत्रावली खोली तो याद आया की मैंने अपना आय का कर जमा कर दिया है, यह आयकर का दार नहीं कुछ और ही था !
रात्रि में मैंने सोने से पहले अपनी दिनचर्या पर एक नज़र डाली, यह जानने के किये की आखिर जब भी मैं किसी उत्पाद को प्रयोग करता हूँ तो मुझे ऐसा क्यों लगता है कि मैं ठगा जा रहा हूँ या मेरी जेब पर हाथ साफ किया जा रहा हैं?
तब मुझे महसूस हुआ कि मेरी अपनी प्यारी सरकार (भारत सरकार- पार्टी कोई भी क्यों ना हो) दो धारी तलवार से छील रही है, कैसे तो जानिए जो मैंने महसूस किया: -
मैंने पिछले एक साल में अपनी आय का कर जमा किया यानि मैं भारत में रहकर, कमाई का वह प्रतिशत जमा कर चूका हूँ जो भारतीय नागरिक होने के नाते मेरे कर्तव्य कि परिधि में आता है। फिर मैंने यह सोचा कि अब तो मैं अपने सफ़ेद पैसे का मालिक हूँ, कुछ भी करू पर यह क्या शौच करने के बाद हाथ धोने से लेकर रात को सोने तक प्रयोग में आने वाली हर वास्तु पर मैं किस बात का कर जमा कर रहा हूँ?
क्या बेतुका कानून है कि कर जमा करने के बाद भी डायपर खरीदो तब भी कर दो, दावा खरीदो तब भी दो, दाल-भात और यहाँ तक कि दारू पर भी चोखा कर अदा करो....पर मैंने तो कर जमा कर दिया फिर क्यों क्यों क्यों ???
नोट: - अब हिन्दू तीर्थ यात्रियों को बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जम्भू-कश्मीर सरकार को कर देना होगा। अब देश के हिन्दू देंगे कर और मुस्लिम भाइयो को मिलेगा 826 करोड़ कि छुट मिलेगी हज यात्रा पर (क्या सरकार हिन्दू मुस्लिम करवाना चाहती है आखिर हमे प्यार मोहब्बत से क्यों नहीं रहने दिया जा रहा क्यों हर बार एक नया बीज बो दिया जाता है)
आम आदमी टैक्स दे कानून के दायरे में चले और ये नेता वी वी आई पी या वी आई पी बनकर देश कि सम्पदा का मज़ा ले और हम बस टैक्स देते रहे। आम आदमी जीवन भर अपने पीछबाड़े  से चने दलता रहे और यह दोमुहे साप कानून को अपनी रखैल बनाकर उससे मालिश करवाते रहे
हम लोग गाड़ी/मकान को खरीदने कि कुव्वत नहीं रखते पर जो जरुरत की वस्तुए है कम से कम वो तो बिना टैक्स के मिल जाये! आरे जब मैं सालाना कमाई का टैक्स जमा कर रहा हूँ तो भाई साहब मुझे ईलाज और दावा तो बिना टैक्स के मुहैया करवा दो
एक आम आदमी कानून के दायरे चलता है (और कोई रास्ता भी तो नहीं वरना पुलिस वाले तमंचा लगा कर जेल में डाल देंगे, आम आदमी का केस कोन लडेगा)
आखिर हमे टैक्स जमा करने का क्या फायेदा ? कुछ नहीं अब आप देख लो सबसे बड़ा उदहारण: -
राष्ट्रिय आयोजन होने जा रहा है कॉमन वेल्थ गेम्स का इसमें आम आदमी ख़रीदे टिकिट वो भी टैक्स के साथ और दो मुहे साप बने वी आई पी और चीयर गर्ल्स की अधोवस्त्रो से झाकते अंगो से अपनी सेहत नमकीन करे
सरकार को करना यह चाहिए कि, 5000 लोगो कि सूची जरी करे जो माध्यम वर्ग या निम्न वर्ग से हो और जो टैक्स जमा करते हो( टैक्स जमा करने के सम्मान में) उनको फ्री पास वितरित किये जाये ताकि उनको गर्व हो कि वो टैक्स देकर गलती नहीं करते (यह हुआ अस्थायी सम्मान)। साथ ही टैक्स जमा करने वालो को भारत के किसी भी निजी या सरकारी हेल्थ संस्थान में ईलाज और दवाई मिले बिना टैक्स के वो भी कुछ प्रतिशत छूट के साथ
वर्ना जनता औकात में लाना जानती है बस सब्र का बांध अभी टूटा नहीं......

5 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Sahi kha kafi had tak main aap ke sath hun aakhir kita tax aur kyo

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Anil Kumar Sharma

devas dixit ने कहा…

बहुत खूब साहब. बहुत बढ़िया लिखा है. आम आदमी कि जिंदगी से जोड़ने के कारण लेख और भी सुन्दर बन पड़ा है. शुभकामनाएं...!!!

शागिर्द - ए - रेख्ता ने कहा…

भाई वाह सर ... इतनी पेचदार बात को बड़ी सरलता से कह दिया है |

आपके आक्रोश की मै इज्ज़त करता हूँ | यही तो युवा का श्रृंगार है

सुंदर लेख |

निर्मला कपिला ने कहा…

pपहली बार आपका ब्लाग देखा अच्छा लगक़ किअब युवा भी देश की असली समस्या के बारे मे सोचने लगे हैं वर्ना ब्लागज़ पर तो धर्म के नाम पर ही लड रहे हैं या फिर हिन्दू मुस्लिम के नाम पर असली जड तक कोई नही जाता । ।लगे रहिये कभी तो सफलता मिलेगी\शुभकामनायें

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया पोस्ट लिखी है। बहुत सही बात कही है आपने..टेक्स का फायदा तो यही वी आई पी ही उठाते हैं...